भारतीय परम्परा के अनुसार कला उन सारी क्रियाओं को कहते हैं जिनमें कौशल अपेक्षित हो। कला जीवन को सत्यम् शिवम् सुन्दरम् से समन्वित करती है। इसके द्वारा ही बुद्धि आत्मा का सत्य स्वरुप झलकता है। शिक्षा में कला छात्रों को खुद को स्वतंत्र रूप से अभिव्यक्त करने के लिए एक मंच प्रदान करती है। चाहे वह पेंटिंग, संगीत, नृत्य या नाटक के माध्यम से हो, कला छात्रों को अपनी भावनाओं, विचारों और विचारों को मूर्त रूपों में ढालने का अधिकार देती है। आत्म-अभिव्यक्ति की यह प्रक्रिया न केवल उनके आत्मविश्वास को बढ़ाती हैl कला अक्सर व्यक्तिगत अभिव्यक्ति प्रदान करती है, वे सहयोग और टीमवर्क के अवसर भी प्रदान करती हैंl
बाला (शिक्षण सहायता के रूप में भवन) स्कूल भवन के बुनियादी ढांचे में हस्तक्षेप के माध्यम से शिक्षा में गुणात्मक सुधार की दिशा में एक नवीन अवधारणा है।
विद्यालय के कला विभाग में कला से संबंधित क्रिया— कलाप कराए जाते है l इसके अलावा बाला प्रोजेक्ट से संबंधित कार्य विद्यालय में किया गया है l
कला के कालांश में विद्यार्थियों को रेखा चित्रण, रंग संयोजन, क्राफ्ट, प्रिंटिंग, मूर्तिकला, से संबंधित कला कार्य सिखाए जाते है।
कला शिक्षा संतुलित शिक्षा का एक अनिवार्य हिस्सा है। यह छात्रों को उनकी रचनात्मकता, आलोचनात्मक सोच कौशल और समस्या-समाधान क्षमताओं को विकसित करने में मदद कर सकता है ताकि उन्हें अच्छी तरह से विकसित व्यक्ति बनाया जा सके और उन्हें आगे के उज्ज्वल भविष्य के लिए तैयार किया जा सके।